|| दीयावाती ||
मनुहारी अति दिव्य
सघन वर दीपक माला |
बाल वृन्द बहु ललित
चारु चित चंचल बाला ||
आयल उतरि अपवर्ग धरा
रे, चित चकित चहुँ ओर |
फुल झरी झरि रहल लुभावन
मन आनंन्द विभोर ||
हुक्का लोली बीचे अड़िपन
चमकि उठल अच्छी अंगना |
मृगनयनी चहुँ चारु दीया लय
रून - झुन बाजल कंगना ||
सिद्धि विनायक मंगल दाता
भक्ति भाव स्वीकारु |
अन - धन देवी लक्ष्मी मैया
"रमणक " दोष बिसारू ||
लेखक -
रेवती रमण झा "रमण"
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