।। अगहन मास ।।
आयल अगहन सेर पसेरी
मूँसहुँ बीयरि धयने।
जन बनि हारक मोनमस्त अछि
लोरिक तान उठौने ।।
भातक दर्शन पुनि पुनि परसन
होइत कलौ बेरहटिया ।
भोरे कनियाँ कैल उसनियाँ
परल पथारक पटिया ।।
फटकि-फटकि खखड़ा मुसहरनी
खयलक मुरही चूड़ा ।
नार पुआरक कथा कोन अछि
वड़द ने पूछय गुड़ा ।।
चारु कात धमाधम उठल
जखनहि उगल भुरुकवा ।
साँझक साँझ परल मुँह फुफरी
तकरो मुँह उलकुटवा ।।
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
मो - 9997313751
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